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जम्मू कश्मीर में स्थित हरि पर्वत किला का इतिहास और सम्पूर्ण जानकारी|History of Hari Parvat fort situated in jammu kashmir in hindi.

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  हरि पर्वत किला संक्षिप्त जानकारी स्थान श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर (भारत) निर्मित 18वीं शताब्दी निर्माता (किसने बनवाया) अफ़गानी गवर्नर मुहम्मद ख़ान वास्तुकला मुगल शैली प्रकार किला पुनः निर्माण (निर्माणकर्ता) मुगल सम्राट अकबर वर्तमान स्वामित्व जम्मू-कश्मीर पुरातत्व विभाग हरि पर्वत किला का संक्षिप्त विवरण हरि पर्वत किला भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य की राजधानी श्रीनगर में स्थित है। हरि पर्वत किला एक प्रतिष्ठित स्थल है, जो श्रीनगर के शारदा हिल की चोटी से आसानी से देखा जा सकता है। इस किले का निर्माण एक अफ़गान गवर्नर मुहम्मद ख़ान द्वारा 18 वीं शताब्दी में कराया गया था। परंतु किले के कुछ भागों का निर्माण मुगल सम्राट अकबर द्वारा भी कराया गया था। इसलिए यहाँ मुगलकालीन वास्तुकला को भी देखा जा सकता है। One word हरि पर्वत किला का इतिहास हरि पर्वत किले का निर्माण एक अफ़गानी गवर्नर मुहम्मद ख़ान द्वारा 18 शताब्दी में करवाया गया था, उसके बाद किले के कुछ भागों का निर्माण 1590 ई॰ में मुगल सम्राट अकबर ने करवाया था। जिसमें किले की चहारदीवारी का निर्माण भी शामिल था। पहले ये किला चारों तरफ से खुला हुआ था, परंतु कई

772 साल पुराने कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में सबकुछ| All tells about Konark sun temple in hindi.

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कोणार्क मंदिर भारत के ओड़िशा राज्य स्थित जगन्नाथ पूरी से 35 किलोमीटर दूर पर कोणार्क शहर में अवस्थित है। इस मंदिर का निर्माण कलिंग वास्तु कला के अंतर्गत हुई है। इस मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से हुआ है। कोणार्क मंदिर भारत के ओड़िशा राज्य स्थित जगन्नाथ पूरी से 35 किलोमीटर दूर पर कोणार्क शहर में अवस्थित है। इस मंदिर का निर्माण कलिंग वास्तु कला के अंतर्गत हुई है। इस मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से हुआ है। कोणार्क मंदिर कोणार्क मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है। यह दुनियाभर में प्रसिद्ध है। देश और दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु सूर्यदेव के दर्शन और मंदिर अवलोकन हेतु कोणार्क आते हैं। साल 1984 में कोणार्क मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की मान्यता दी गई। कोणार्क मंदिर निर्माण को लेकर इतिहासकारों में असहमति है। कई जानकारों का कहना है कि कोणार्क मंदिर का निर्माण गंग वंश के शासक राजा नृसिंहदेव द्वारा करवाया गया है। वहीं, कुछ जानकर तर्क देते हैं कि राजा नृसिंहदेव की मृत्यु के बाद कोणार्क मंदिर का पूर्व निर्माण नहीं हो सका। वर्तमान समय में मंदिर का अधूरा ध्वस्त ढांच